Monday, December 9, 2024
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MP Assembly Election 2023: दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच रिश्ते की खटास चुनाव में कांग्रेस को पड़ेगा महंगा

MP Assembly Election 2023: मध्यप्रदेश में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं जिसके लिए भाजपा और कांग्रेस ने कमर कस ली है. पिछली बार कांग्रेस की जीत में ज्योतिरादित्य सिंधिया की अहम भूमिका रही थी, लेकिन बाद में उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया था जिसके बाद यहां कांग्रेस की सरकार गिर गयी, जो 15 साल के बाद सत्ता में आयी थी. विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस के 15 साल का वनवास खत्म हुआ था. आइए अब जानते हैं कि इस 15 साल बाद कांग्रेस की सरकार सूबे में कैसे बनी थी.

दरअसल, राजनीति के जानकार बताते हैं कि पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2018 के चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हाईकमान को स्पष्ट रूप से बता दिया था कि सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की सक्रियता कम होनी चाहिए, इससे कांग्रेस को फायदा होगा. यही वजह रही थी कि पिछले विधानसभा चुनाव में ज्योतिराज सिंधिया ने पूरी कमान संभाली और कमलनाथ के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया और बाद में सरकार बना ली. बताया जाता है कि कांग्रेस में रहते हुए भी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया की कभी बनी भी नहीं.

दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच रिश्ते की खटास
दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच रिश्ते की खटास आज भी नजर आती है. पिछले दिनों दिग्विजय सिंह ने सर्जिकल स्टाइक को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा जिसके बाद रासजनीति तेज हो गयी. दिग्विजय सिंह के बयान के बाद जहां भाजपा हमलावर हो गयी वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस के दिग्गज नेता पर कटाक्ष करते हुए ओसामा जी वाला बयान उन्हें याद दिला दिया. बाद में दिग्विजय सिंह के बयान से खुद कांग्रेस ने अपना पल्ला झाड़ लिया और दिग्विजय सिंह के बयान को निजी करार दिया.

कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दिलाएंगे कांग्रेस को सत्ता?
आपको बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में जाने के बाद अब पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह पूरी ताकत से सरकार बनाने में जुटे हैं. हालांकि पूरी कांग्रेस के लिए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ही सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभर रहे हैं. 2018 के चुनाव में कांग्रेस की सीटें 58 से 114 जबकि भाजपा 165 से लुढ़ककर 109 पर पहुंच गयी थी. हालांकि यह भी दिलचस्प है कि भाजपा का वोट प्रतिशत 41% जबकि कांग्रेस का 40.9% रिकॉर्ड किया गया था. पिछले चुनाव में बसपा को दो जबकि अन्य को पांच सीटें मिली हैं.