Monday, May 13, 2024
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मध्य प्रदेश चुनाव: बीजेपी में ज्योतिरादित्य सिंधिया का कद कितना बढ़ा ? जानें यहां

मध्य प्रदेश में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इससे पहले प्रदेश के एक नेता की चर्चा सबकी जुबान पर है. जी हां…वह नेता कोई और नहीं बल्कि ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) हैं जो अब बीजेपी के लिए वोट मांगते नजर आ रहे हैं. उन्होंने करीब तीन साल पहले बीजेपी का दामन थामा था.

11 मार्च 2020 में बीजेपी में शामिल होने के बाद उनका कद बढ़ा. मोदी सरकार की केंद्रीय कैबिनेट में सिंधिया को मंत्री बनाया गया. चुनावी साल में यह सवाल उठ रहे हैं कि ग्वालियर-चंबल में अब क्या उनका रुतबा बरकरार है या फिर कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने से उनका जनाधार कम हुआ है. खैर ये तो चुनाव परिणाम के बाद पता चलेगा, लेकिन बीजेपी ने चुनावी साल में सिंधिया को कई जिम्मेदारी दी है. यही नहीं उनके लोगों को भी चुनाव से संबंधित समितियों में जगह मिली है. इन तीन सालों में सिंधिया की बीजेपी में कितनी स्वीकार्यता है, उसपर एक नजर डालते हैं…

1. यदि आपको याद हो तो पिछले दिनों नरेंद्र मोदी जब भोपाल आए थे तो अचानक ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने विमान में बैठाया और दिल्ली साथ लेकर गये थे. इस दौरान कई तरह के कयास लगाये जाने लगे थे. इसके बाद लोगों के मन में सवाल था कि क्या मध्य प्रदेश भाजपा में सिंधिया सबसे शक्तिशाली नेता बन गये हैं? यही नहीं बीजेपी ने चुनाव को लेकर अभी जो समितियां तैयार की है, उसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया को जगह दी गयी है. साथ ही उनके करीबी मंत्रियों को भी उसमें जिम्मेदारी दी गयी है.

2. पिछले दिनों राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू एक कार्यक्रम के सिलसिले में ग्वालियर पहुंचीं थीं. प्रोटोकॉल के तहत तो वे कहीं भी नहीं जा सकती हैं, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक आग्रह किया इसके बाद वे सिंधिया के निवास जय विलास पैलेस पहुंचीं और वहां दोपहर का भोजन किया. इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी जय विलास पैलेस में गये थे. इससे सिंधिया ने ग्वालियर-चंबल के इलाके में अपने कद का अहसास करवाया था.

3. हलांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया का कद केंद्रीय नेतृत्व में जरूर बढ़ता नजर आया लेकिन अपने क्षेत्र के पुराने नेताओं के दिल में उनकी जगह कम होती चली गयी. सिंधिया को तब और बड़ा झटका लगा जब उनकी करीबी लोगों ने गुना-शिवपुरी में उनका साथ छोड़ दिया. सिंधिया समर्थक बैजनाथ सिंह यादव और राकेश गुप्ता ने कांग्रेस का दामन थामा. पूर्व सीएम और पार्टी नेता कमलनाथ की मौजूदगी में वे कांग्रेसी बने. इस घटना से सिंधिया के खेमे में गुटबाजी का मैसेज पहुंचा.

4. आपको बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक और मध्य प्रदेश कांग्रेस के 22 विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद प्रदेश में कमलनाथ सरकार गिर गयी थी. बाद में इन विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया था और फिर चुनावों के बाद विधायक बने थे. विधानसभा चुनाव को चंद महीने शेष हैं, ऐसे में राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अधिकांश विधायकों का टिकट कट सकता है. अब ये देखने वाली बात होगी कि सिंधिया की प्रदेश भाजपा में कितनी स्वीकार्यता है, क्या वे अपने समर्थकों को दोबारा टिकट दिलवाने में सक्षम हो पाएंगे ? क्योंकि सबसे ज्यादा इनके गढ़ में बीजेपी के पुराने नेता असहज नजर आ रहे हैं.