Friday, March 29, 2024
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निशांत कनोदिया मैटिक्स फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड के चेयरमैन बने

Mumbai: मैटिक्स फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड के प्रोमोटर निशांत कनोदिया को कंपनी का चेयरमैन बनाया गया है. वे स्वर्गीय योगेंद्र कनोदिया का स्थान लेंगे. निशांत कनोदिया वाइस चेयरमैन की अपनी पिछली भूमिका में मैटिक्स को रणनीतिक निर्देश देते रहे थे. इसमें उनका फोकस पूंजी जुटाना, विकास और विविधीकरण पर होता था और इसी के परिणामस्वरूप कंपनी अपनी मौजूदा स्थिति में पहुंची है और भारत की सबसे तेजी से बढ़ती उर्वरक कंपनियों में से एक है.

कनोदिया मैटिक्स की कायापलट (टर्नअराउंड) का नेतृत्व करते रहे हैं. इसमें उर्वरक उद्योग में सफल और अनुभवी ट्रैक रिकॉर्ड के साथ पेशेवर और अनुभवी नेतृत्व को शामिल करना शामिल है. श्री कनोदिया व्हार्टन स्कूल, पेनसिलवेनिया विश्वविद्यालय, अमेरिका से एमबीए हैं और आंत्रप्रेन्योर्स ऑर्गनाइजेशन (ईओ) तथा यंग प्रेसिडेंट ऑर्गनाइजेशन (वाईपीओ) के मुंबई चैप्टर के सदस्य हैं.
निशांत कनोदिया ने कहा कि यह एक सम्मान और सौभाग्य की बात है कि मैटिक्स के बोर्ड ने मुझे यह विशेष जिम्मेदारी सौंपी है. उन्होंने आगे कहा कि मैं यह सुनिश्चित करने के प्रयास करूंगा कि कंपनी न सिर्फ़ विकास और लाभदेयता पर ध्यान केंद्रित रखे बल्कि पेशेवर प्रबंधन, शासन, निरंतरता और सामाजिक जिम्मेदारी के मानक भी स्थापित करे.

मैटिक्स फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड के बारे में
मैटिक्स फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड भारत की सबसे तेजी से बढ़ती उर्वरक कंपनियों में से एक है. मैटिक्स पश्चिम बंगाल के पानागढ़ स्थित पूरी तरह एकीकृत, गैस आधारित यूरिया संयंत्र की स्वामी है और उसका परिचालन करती है, जिसकी 1.27 एमटीपीए क्षमता इसे भारत के सबसे बड़े “सिंगल स्ट्रीम” उर्वरक संयंत्रों में से एक बनाती है। मैटिक्स का “डॉ फसल” ब्रांड भारत के पूर्वी बाजार में यूरिया उर्वरक के लिए अग्रणी है और बाजार में इसकी हिस्सेदारी 25% है और यह करीब 700 डीलर के मजबूत वितरण नेटवर्क द्वारा संचालित है.

इस प्लांट में 54 मेगावाट की एक कैप्टिव ऊर्जा इकाई, दोहरी रेक वाली रेलवे स्लाइडिंग तथा यूटिलिटीज हैं जो करीब 500 एकड़ के परिसर में फैली हुई हैं. कंपनी का भारत की सबसे बड़ी गैस आपूर्ति कंपनी गेल के साथ 20 साल का दीर्घकालिक गैस आपूर्ति करार है. यूरिया के लिए भारत सरकार की नई निवेश नीति के तहत संयंत्र को हरित क्षेत्र परियोजना के रूप में शामिल किया गया है.