Friday, March 29, 2024
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रुगड़ा व खुखड़ी : सावन में भी लें मांसाहार का स्वाद! दिल के मरीज, ब्लड प्रेशर और मधुमेह रोगी के लिए बहुत फायदेमंद

यदि आप मांसाहार नहीं पसंद करते तो आपके पास एक ऑप्शन मौजूद है. जी हां…इस ऑपशन का नाम रुगड़ा व खुखड़ी (Rugda) है. दरअसल ये झारखंड के जायके की पहचान है. आषाढ़ माह शुरू होते ही इसका बेसब्री से लोग इंतजार करने लगते हैं और इसे जल्द से जल्द खाने को इच्छुक होते हैं. बारिश शुरू होते ही प्रोटीन से भरपूर रुगड़ा 400 से 500 रुपये प्रति किलो की दर से बाजार में आता है.

रुगड़ा की बात करे तो ये वहीं मिलता है, जहां साल के जंगल हैं. लोगों की पसंद के कारण बड़े-बड़े होटलों के मेन्यू में भी अब रूगड़ा शामिल किया जा चुका है. सावन में जब लोगों के घरों में नॉनवेज नहीं बनता है, तो रूगड़ा के रूप में सबसे बेहतर विकल्प इसे लोग मानते हैं.

झारखंड की राजधानी रांची स्थित बिरसा कृषि विवि के मशरूम शोध प्रभारी डॉ एन कुदादा के अनुसार, इसमें मिनरल्स, प्रोटीन और फाइबर अधिक मात्रा में पाये जाते हैं. वसा और कैलोरी कम होती है. दिल के मरीज, ब्लड प्रेशर व मधुमेह रोगी के लिए यह बहुत ही फायदेमंद है. रुगड़ा एक प्राकृतिक व शुद्ध जैविक उत्पाद है.

रूगड़ा’ व देसी मशरूम ‘खुखड़ी’ के हैं बहुत लाभ
बरसात के मौसम में मिलनेवाला देसी मशरूम (खुखड़ी) व रुगड़ा शरीर के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है. न्यूट्रिशियन के अनुसार खुखड़ी में प्रोटीन, फैट, फाइबर और कार्बोहाइड्रेड प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं. 100 ग्राम खुखरी में 3.68 प्रोटीन, 0.42 ग्राम फैट,3.11 ग्राम फाइबर और 1.98 ग्राम कार्बोहाइड्रेड मिलता है. वहीं रुगड़ा में कैल्सियम और प्रोटीन मिलते हैं. एनीमिया (खून की कमी) से पीड़ित मरीज के लिए रुगड़ा बहुत लाभकारी है.

क्या हैं इसके फायदे

-दिल के मरीज, ब्लड प्रेशर और मधुमेह रोगी के लिए यह बहुत फायदेमंद है
-एनीमिया (खून की कमी) से पीड़ित मरीज के लिए भी रुगड़ा है बहुत लाभकारी
-रुगड़ा मशरूम की ही एक प्रजाति है, मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं, सफेद व काला
-रुगड़ा 400 से 500 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है
-आकाश में बिजली चमकने या गरजने पर जमीन में दरारें पड़ जाती हैं, तो वहीं से खोद कर रुगड़ा निकलता है
-रुगड़ा साल के जंगल में ही तैयार होता है, झारखंड के अलावा छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में भी ये पाया जाता है
-झारखंड की बात करें तो राजधानी रांची, खूंटी, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, सिंहभूम और चतरा में ये पाया जाता है