Sunday, November 3, 2024
लाइफ स्टाइल

लीवर से जुड़ा गंभीर रोग है हेपेटाइटिस, जानें इसके लक्षण

कोरोना काल में संक्रमण को लेकर लोग सर्तक हैं. वर्तमान समय की भयावहता ने संक्रमण के मुद्दे को समझने में आमलोगों की मदद भी की है. इस महामारी के दौरान दूसरी गंभीर संक्रामक बीमारियों में शामिल हेपेटाइटिस को भी जानना जरूरी हो जाता है. आज विश्व हेपेटाइटिस डे भी है. हेपेटाइटिस जैसे गंभीर संक्रामक रोगों व इसके टीकाकरण के प्रति जागरूकता लाना इस दिवस का मुख्य उद्देश्य है. इस साल हेपेटाइटिस फ्री फ्यूचर की थीम के साथ यह दिवस मनाया जा रहा है. विश्व स्वास्थ संगठन के अनुसार 2030 तक 4.5 लाख समय से पूर्व होने वाली मौत को हेपेटाइटिस टीकाकरण कर रोका जा सकता है.

हेपेटाइटिस की रोकथाम सही जीवनशैली अपना कर की जा सकती है. विभिन्न प्रकार के होने वाले हेपेटाइटिस की रोकथाम के लिए साफ पेयजल का इस्तेमाल, सुरक्षित यौन संबंध, नशीली दवाईयों के इस्तेमाल से दूरी, शौच के बाद व खाने से पूर्व हाथों सहित व्यक्तिगत साफ सफाई को तरजीह देकर इस बीमारी के संक्रमण को रोका जा सकता है. हेपेटाइटिस के लिए टीकाकरण सबसे प्रभावी उपाय है. टीकाकरण के बावजूद सुरक्षात्मक उपायों को कभी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए.

संक्रमण के लिए जिम्मेदार है कई कारण: हेपेटाइटिस पांच तरह के हैं. इन्हें ए, बी, सी, डी और ई श्रेणी में बांटा गया है. इनमें ए व ई जलजनित रोग हैं. वहीं बी, सी और डी संक्रमित रक्त के कारण होते हैं.  हेपेटाइटिस लीवर को बहुत अधिक बुरी तरह प्रभावित करता है. विभिन्न तरह के होने वाले हेपेटाइटिस के संक्रमण के कारक भी अलग अलग हैं. दूषित पानी व खाद्य पदार्थ के इस्तेमाल, शराब पीने, संक्रमित चिकित्सा उपकरण जैसे सुइयों का रक्त चढ़ाने, टैटू बनवाने व नाक कान छेदवाने में इस्तेमाल, इंजेक्शन से ली जाने वाली नशाएं व असुरक्षित यौन संबंध आदि कारण होते हैं.

गर्भवती महिलाओं को रहना है सर्तक: दूषित जल के इस्तेमाल से होने वाला हेपेटाइटिस ए तीन-चार हफ्तों के परहेज से ठीक हो जाता है. गर्भवती महिलाओं में इसके प्रभाव से पीलिया होने पर यह भयानक रूप ले लेता है. इस अवस्था में जच्चा बच्चा दोनों की जान को खतरा होता है. गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व हेपेटाइटिस की जांच अवश्य करानी चाहिए. प्रसव के दौरान संक्रमित माता से उसके बच्चे में हेपेटाइटिस संक्रमण की संभावना होती है. हेपेटाइटिस बी का संक्रमण भी सबसे ज्यादा मां से बच्चे को होता है.इस रोग के कारण समय पूर्व शिशु का जन्म, गर्भपात, कम वजन वाले शिशु होने की संभावना भी रहती है.

इन बातों का भी रखें एहतियात:

•             शरीर पर हुए जख्म को खुला नहीं रखें.

•             असुरक्षित यौन संबंध बनाने से दूर रहें.

•             अन्य के टूथब्रश व रेजर का इस्तेमाल नहीं करें.

•             कैंची,नाखून काटने वाली वस्तुएं शेयर नहीं करें.

•             खून देने या लेते समय पूरी सावधानी रखें.

•             हाथों की नियमित साबुन से सफाई करें.

हेपेटाइटिस के लक्षण की करें पहचान:

•             बुखार रहना, भूख नहीं लगना

•             बहुत अधिक थकावट रहना

•             पेशाब का रंग गहरा होना

•             त्वचा व आंखों में पीलापन

•             खून की उल्टी, पैरों में सूजन

•             पाचन तंत्र प्रभावित होना

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