आरंभ है प्रचंड: कड़कनाथ को देखकर मुस्कराईं भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर
मध्य प्रदेश के जाने-माने पत्रकार और लेखक अमिताभ बुधौलिया अपने चौथे उपन्यास-कड़कनाथ को लेकर चर्चा में है। यह एक राजनीति
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Read Moreजिंदगी में कुछ न किया, तो जीना किस काम का!खुद को जीता न सका , तो जीना किस काम का!!
Read Moreचिराग जलता रहा, हवा को चुनौती देकर!जब तक जला, दुनिया से गया रौशनी देकर!! समंदर तड़पता रहा, साहिल के लिए!जब
Read Moreहर हार कुछ कह जाती है !कुछ सबक सीखा जाती है!! अगर मुकम्मल कोशिश होती है!जीत भी दामन फैलाये होती
Read Moreतोड़ दो मन के बंधन,खोल दो गांठेंचुनौतीयों से लड़ो, हार से न घबराओखुद पर करो भरोसा,सर रखो ऊँचाएक दिन देखना,
Read Moreहमारे गांव में नेताजी आएआते ही मुस्कराएहम तुम लोगों की गरीबी मिटाने आए हैं‘आलू से सोना’ बनाने टाइप एक गजब
Read Moreसब मुमकिन हैं , एकबार कोशिश तो करो!अगर शिकस्त मिले तो, अफ़सोस कतई न करो!! टूट गए हैं रिश्ते, जोड़ने
Read Moreराजनीति शतरंज है इसकी तरह-तरह की चाल है !नेता वोट लेने के लिए करते तरह-तरह के कमाल हैं !! राजनीति
Read Moreभक्तों में भक्ति का खुमार है, पर भगवान उदास है.!मंदिर की ओट पर बैठे गरीब को, भक्तों से आस है.
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