आम में कोरोना! ये है हाल लोगों का
उत्तर प्रदेश के मलिहाबाद का आम पूरे देश में प्रसिद्ध है. लेकिन इस साल यहाँ के आम के व्यपारियों को जबरदस्त घाटा हुआ है, कारण कोरोना और लॉकडाउन…
दरअसल, जिस समय आम को सबसे ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है, उस दौरान कोरोना संकट की वजह से लगा लॉकडाउन फलों के राजा पर भारी पड़ गया और आम में दाग पड़ गए. बंदी के कारण कीटनाशक नहीं मिले और जब छूट मिली तब लेबर नहीं मिले.
जो आम तैयार भी हुआ तो अच्छा साइज नहीं मिला और कीड़ों के कारण धब्बे आ गए. अब जब ये आम बाजार में आये तो खरीदने वालों ने इन दागदार आमों को कोरोना आम की संज्ञा दे डाली. इसके बाद क्या था, लोगों ने ऐसे आमों को खरीदना कम कर दिया , जिसकी वजह से आम के दाम जमीन पर आ गए.
बागों से ये आम 200 से 250 रुपये केरेट बिक रहे हैं यानी 10 से 15 रुपये प्रतिकिलो जो हर साल करीब 35 से 40 रुपये प्रतिकिलो बिकते थे.
40 से 45 फीसदी तक गिरा उत्पादन: इस काम से जुड़े लोग बताते हैं कि प्रदेश में आम तौर पर आम का उत्पादन 45 से 50 लाख टन होता है. लॉकडाउन के कारण समय पर छिड़काव और बागों की देखरेख न होने से पैदावार घटकर 25 से 30 लाख टन रह गई और आम भी अच्छा नहीं हुआ. मलिहाबाद आम मंडी में दशहरी हर साल 30 से 40 रुपये प्रति किलो जाता था, लेकिन इस बार 15 से 20 रुपये में भी नहीं बिक पा रहा है.
उत्पादन 60% के करीब घटा: बताया जा रहा है कि इस साल मलिहाबाद बेल्ट में आम का उत्पादन 60% के करीब घटा है. मुंबई, दिल्ली के अलावा पूरे उत्तर भारत और दक्षिण के राज्यों में जहां दशहरी हाथों हाथ बिकता था, वहां इस बार 20 रुपये/किलो का भाव भी नहीं मिल रहा है.
10.50 टन दशहरी ही गया विदेश: मलिहाबाद के दशहरी की देश ही नहीं विदेश में भी खास पहचान है. आम कारोबारी बताते हैं कि दशहरी दुबई, ओमान, कतर, दोहा, अबूधाबी, लंदन, इटली, जर्मनी, रोम तक जाता है. यहाँ के करोबारी बताते हैं कि पिछले साल मलिहाबाद से 120 टन आम का खाड़ी देशों और यूरोप में निर्यात किया गया था. इस बार 10.50 टन आम का निर्यात ही हुआ है, वह भी सिर्फ दुबई में. इस बार आम की क्वॉलिटी और साइज अच्छा न होने से निर्यात में दिक्कत आ रही है.